New Delhi: भारतीय जी-20 अध्यक्षता के तहत कृषि कार्य समूह की तीन दिवसीय बैठक हैदाराबाद में संपन्न हुई। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकार वार्ता में बताया कि बैठक ज्ञान, अनुभव और नवीन विचारों को साझा करने के लिए एक उल्लेखनीय प्लेटफार्म रही है, जो टिकाऊ कृषि की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं। कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों-अवसरों पर प्रकाश डालते हुए बैठक में चर्चा विचारोत्तेजक रही। कृषि-खाद्य मूल्य श्रृंखलाओं में महिलाओं-युवाओं को मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया गया है।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने बताया कि वाराणसी में 12वीं चीफ एग्रीकल्चर साइंटिस्ट्स की मीटिंग में लांच “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स और अन्य प्राचीन अनाज अनुसंधान पहल” (महर्षि) को जी-20 के कृषि मंत्रियों की बैठक में सर्वसम्मति से मंजूरी मिली है। उन्होंने बताया कि हमारी खाद्य प्रणालियों में विविधता लाने व मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, भारत ने “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स और अन्य प्राचीन अनाज अनुसंधान पहल” (महर्षि) के शुभारंभ की अगुवाई की। भारत की इस पहल का उद्देश्य मिलेट्स (श्री अन्न) व अन्य पारंपरिक अनाजों की खेती और खपत को देश-दुनिया में बढ़ाना है, जो अत्यधिक पोषण मूल्य रखते हैं व खाद्य सुरक्षा में योगदान करते हैं।

श्री तोमर ने बताया कि जी-20 इंडिया प्रेसीडेंसी के तहत, एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप ने आउटकम डॉक्यूमेंट व चेयर समरी के साथ ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। परिणाम दस्तावेज़ और अध्यक्ष का सारांश, जी-20 के कृषि मंत्रियों की बैठक के दौरान चर्चाओं, सिफारिशों, समझौतों के व्यापक रिकॉर्ड के रूप में काम करता है। परिणाम दस्तावेज़ और अध्यक्ष का सारांश, कार्रवाई के लिए रोडमैप प्रदान करते हैं व सदस्य देशों की प्रमुख प्राथमिकताओं और प्रतिबद्धताओं को उजागर करते हैं। बैठक में, सदस्य राष्ट्रों ने सर्वसम्मति से “डेक्कन उच्चस्तरीय सिद्धांतों” पर सहमति व्यक्त की है। ये सिद्धांत, टिकाऊ व समावेशी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने में मील के पत्थर के रूप में काम करते हैं, संसाधन दक्षता, जलवायु लचीलापन, सामाजिक समावेशिता के महत्व पर जोर देते हैं और कृषि चुनौतियों का समाधान करने में हमारे सामूहिक प्रयासों का मार्गदर्शन करेंगे।

बैठक के दौरान चर्चा में पर्यावरणीय प्रभाव कम करते हुए कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। भारतीय अध्यक्षता के दौरान फोकस का एक अन्य प्रमुख क्षेत्र कृषि में डिजिटलीकरण रहा है। भारत ने उत्पादकता, बाजार पहुंच, कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में सुधार के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी क्षमता को पहचाना है। कृषि में भारत की जी-20 प्राथमिकताएं ‘एक पृथ्वी’ को ठीक करने, हमारे ‘एक परिवार’ में सद्भाव विकसित करने व एक उज्जवल ‘एक भविष्य’ की आशा प्रदान करने पर केंद्रित हैं।

श्री तोमर ने कहा कि भारत टिकाऊ कृषि के महत्व और खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण विकास व पर्यावरण संरक्षण पर इसके प्रभाव को पहचानता है। हम प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो किसानों की भलाई को प्राथमिकता देते हैं, नवीन कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देते हैं और हमारे सभी नागरिकों के लिए भोजन की पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करते हैं। श्री तोमर ने बताया कि खाद्य सुरक्षा के लिए जैव विविधता व पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को बनाए रखने पर चर्चा ने हमारे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्व पर भी प्रकाश डाला है। हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए, जैव विविधता का संरक्षण करना चाहिए, ऐसी प्रथाएं अपनाना चाहिए, जो प्रकृति अनुरूप हो। आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ ग्रह सौंपना हमारी जिम्मेदारी है। इसके अतिरिक्त, जलवायु समाधानों की खेती पर, बदलती जलवायु के अनुकूल होने और लचीली कृषि प्रणालियों के निर्माण की तत्काल जरूरत पर भी बैठक में प्रकाश डाला गया। जलवायु परिवर्तन खाद्य उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करता है, हमें किसानों को इन चुनौतियों से सीधे निपटने के लिए जरूरी उपकरण व ज्ञान से लैस करना चाहिए। नवाचार अपनाकर व जलवायु-स्मार्ट प्रथाएं बढ़ाकर हम बदलती दुनिया में भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

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