New Delhi: खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) ने खाद्य अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने के लिए 31 मार्च, 2023 तक आरक्षित मूल्य को निम्नानुसार कम करने का निर्णय लिया है:
A. खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) {ओएमएसएस (डी)} के तहत आरक्षित मूल्य निजी पार्टियों को गेहूं की बिक्री के उद्देश्य से आरएमएस 2023-24 सहित सभी फसलों वाले गेहूं (एफएक्यू) के लिए दाम 2150 रुपये/क्विंटल (पैन इंडिया) और गेहूं (यूआरएस) हेतु 2125 रुपये/क्विंटल (पैन इंडिया) तय किया गया है।
B. राज्यों को ई-नीलामी में भाग लिए बिना ही उपरोक्त प्रस्तावित आरक्षित मूल्य पर अपनी आवश्यकताओं के लिए भारतीय खाद्य निगम से गेहूं खरीदने की अनुमति दी जा सकती है।
आरक्षित मूल्य में कमी होने से उपभोक्ताओं के लिए गेहूं और गेहूं से निर्मित उत्पादों के बाजार मूल्य को कम करने में सहायता मिलेगी।
भारतीय खाद्य निगम 17.02.2023 को संशोधित इन आरक्षित कीमतों पर गेहूं की बिक्री के लिए तीसरी ई-नीलामी करेगा, जो 22.02.2023 को खुलेगी।
मंत्रियों की समिति ने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के माध्यम से भारतीय खाद्य निगम के स्टॉक से 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं निम्नानुसार जारी करने का निर्णय लिया है:
A. भारतीय खाद्य निगम द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया के अनुसार व्यापारियों, आटा मिलों आदि को ई-नीलामी के माध्यम से 25 लाख मीट्रिक टन की पेशकश की जाएगी। बोली लगाने वाले प्रति नीलामी प्रति क्षेत्र अधिकतम 3000 मीट्रिक टन की मात्रा के लिए ई-नीलामी में भाग ले सकते हैं।
B. ई-नीलामी के बिना राज्य सरकारों को उनकी आवश्यकताओं के लिए 10,000 मीट्रिक टन/राज्य की दर से 2 लाख मीट्रिक टन की पेशकश की जाएगी।
C. बिना ई-नीलामी के सरकारी पीएसयू/सहकारिता संघ/फेडरेशन जैसे केन्द्रीय भंडार/एनसीसीएफ/नेफेड आदि को 3 लाख मीट्रिक टन की पेशकश की जाएगी।
इसके अलावा, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने केंद्रीय भंडार/नेफेड/एनसीसीएफ को उनकी मांगों के अनुसार 3 लाख मीट्रिक टन गेहूं का आवंटन किया है। केन्द्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ को क्रमशः 1.32 एलएमटी, 1 एलएमटी और 0.68 एलएमटी आवंटित किए गए।
इसके अलावा, 10.02.2023 को गेहूं की दर एनसीसीएफ/नेफेड/केंद्रीय भंडार/राज्य सरकार सहकारी समितियों/संघों आदि के साथ-साथ सामुदायिक रसोई/धर्मार्थ/एनजीओ आदि के लिए बिक्री हेतु घटाकर 21.50 रुपये/किग्रा कर दी गई है, बशर्ते कि वे इस अनुबंध के अधीन हों कि वे गेहूं को आटे में बदलेंगे और इसे उपभोक्ताओं को 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की एमआरपी पर बेचेंगे।
योजना के अंतर्गत संस्थान में रहने वाले बच्चों की गुणात्मक शिक्षा का प्रावधान किया गया है ताकि उन्हें बेहतर कोचिंग, संदर्भ पुस्तकें अथवा कोचिंग सामग्री मिल सके। समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के माध्यम से ऐसे बच्चों को मेंटरशिप भी प्रदान की जाएगी। दसवीं से बाहरवीं तक के बच्चों को सूचीबद्ध एजेंसियों के माध्यम से करियर काउंसलिंग भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा के लिए भी इन बच्चों को सरकार सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा इन बच्चों के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए मासिक पिकनिक आयोजित करने का भी प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के पात्र आवासियों को कोचिंग, छात्रावास शुल्क, शिक्षण शुल्क आदि के लिए प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए प्रति वर्ष प्रदान करने के अलावा कोचिंग की अवधि के दौरान चार हजार रुपए प्रति आवासी प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना में इन संस्थानों के आवासियों को विवाह के लिए दो लाख रुपए अथवा वास्तविक खर्च, जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इन संस्थानों में रहने वाले प्रत्येक बच्चे, निराश्रित महिलाओं का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा, जिसमें सरकार द्वारा 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों को एक हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति माह, 15-18 वर्ष आयु के बच्चों व एकल महिलाओं को दो हजार पांच सौ रुपए प्रति माह की सहायता राशि देगी। इन संस्थानों के आवासियों को भारत के विभिन्न दर्शनीय अथवा ऐतिहासिक स्थलों का पंद्रह दिन का शैक्षिक भ्रमण प्रति वर्ष आयोजित करने का भी प्रावधान है, जिसमें आवासियों के लिए यात्रा की व्यवस्था शताब्दी ट्रेन, एसी वॉल्वो अथवा हवाई सुविधा के साथ-साथ थ्री स्टार होटलों में ठहरने की व्यवस्था होगी। योजना में इसी तर्ज पर वृद्धाश्रमों एवं नारी सेवा सदनों के आवासियों को भी प्रति वर्ष 10 दिन की यात्रा व ठहरने का प्रावधान किया गया है।
योजना के तहत बाल देखरेख संस्थानों को छोड़ने वाले सभी बच्चों के लिए 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद भी 21 वर्ष की आयु तक और अनाथ बच्चों के लिए 27 वर्ष की आयु तक वास्तविक दरों पर छात्रावास शुल्क और शिक्षण शुल्क प्रदान करने की व्यवस्था करने के साथ-साथ अध्ययन अवधि के दौरान छात्रवृत्ति के रूप में चार हजार रुपए प्रति माह प्रति बच्चे को उनके व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के लिए सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत पात्र आवासी, जो 18 वर्ष के आयु पूर्ण करने के बाद अपना स्टार्ट-अप आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें दो लाख रुपए प्रति व्यक्ति एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत अनाथ बच्चों को 18 वर्ष की आयु के बाद 27 वर्ष तक पश्चावर्ती देखभाल संस्थानों में आवासीय सुविधाओं के साथ-साथ भोजन, आश्रय और वस्त्र भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस योजना के तहत जिन अनाथ बच्चों के नाम पर कोई भूमि नहीं है, उन्हें 27 वर्ष की आयु के बाद घर के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि देने के साथ-साथ आवास निर्माण के लिए तीन लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
योजना के तहत इन संस्थानों में रहने वाले सभी आवासियों को वस्त्र अनुदान के रूप में दस हजार रुपए की राशि प्रति वर्ष उनके बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी ताकि वह अपने पसंद के वस्त्र व जूते खरीद सकें। इसके अतिरिक्त संस्थान में रहने वाले व्यक्तियों की देखभाल के लिए अतिरिक्त गृह माता अथवा पालक की नियुक्ति का भी योजना में प्रावधान किया गया है, ताकि उन्हें रहन-सहन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत आवासीय को वर्ष भर आने वाले त्यौहार को मनाने के लिए प्रति त्यौहार 500 रुपए की अनुदान राशि भी दी जाएगी। योजना के तहत ऐसे वर्ग की सहायता के लिए 101 करोड़ के प्रारंभिक योगदान के साथ-साथ मुख्यमंत्री सुख-आश्रय सहायता कोष का गठन किया गया है।