New Delhi: ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ अपने राष्ट्रीय अभियान ‘नई चेतना – 2.0’ के दूसरे वर्ष के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा की। इस संदर्भ में शुक्रवार को एक अंतर- मंत्रालयी बैठक हुई, जिसमें नौ संबंधित मंत्रालयों [डीएवाई-एनआरएलएम (दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन)] की भागीदारी देखी गई। बैठक की अध्‍यक्षता ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह ने की। ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव स्मृति शरण ने एकत्रित प्रतिनिधियों को इस अभियान के बारे में जानकारी दी। इसका आयोजन जेंडर-आधारित हिंसा से बचे लोगों (उत्‍तरजीवियों) के लिए सामूहिक रूप से निवारण तंत्र को मजबूत करने के लिए समन्वय को बढ़ावा देने के लिए किया गया।

यह अभियान 25 नवंबर से शुरू किया जाना है, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। इस अभियान का 34 भारतीय राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में 23 दिसंबर तक आयोजन किया जाएगा। वार्षिक अभियान का नेतृत्व जन आंदोलन की भावना के साथ, 9.8 करोड़ से अधिक ग्रामीण महिला सदस्यों के डीएवाई-एनआरएलएम के स्वयं सहायता समूहों के नेटवर्क द्वारा किया जाएगा।

एनएफएचएस-5 के आंकड़ों से पता चलता है कि 77 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अभी भी हिंसा के अपने अनुभव के बारे में रिपोर्ट नहीं करती हैं, या उसके बारे में बात नहीं करती हैं। इस तरह के निष्कर्षों और देश भर में स्वयं-सहायता समूह की महिला सदस्यों की हिंसा के अनुभवों से इस पहल को प्रेरणा मिली है। नई चेतना अभियान का उद्देश्य महिलाओं और विभिन्‍न जेंडरों के व्यक्तियों के अधिकारों को आगे बढ़ाना तथा उनके जीवन को भय और जेंडर-आधारित भेदभाव से मुक्‍त करना है। इन अभियान गतिविधियों से स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के बीच जेंडर- आधारित हिंसा (जीबीवी) के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और जीबीवी रिपोर्टिंग को बढ़ावा मिलेगा। यह अभियान उन सामाजिक मानदंडों पर भी ध्‍यान देगा (समाधान ढूंढने की कोशिश करना), जो हिंसा के ऐसे रूपों को मंजूरी देते हैं और उन्‍हें बढ़ाने में मदद करते हैं।

विभिन्न मंत्रालयों ने विचार-विमर्श के माध्यम से अपने हित साझा किए और प्रदान की जाने वाली सहायता के विशिष्ट क्षेत्रों को रेखांकित किया। एक प्रमुख गतिविधि जेंडर आधारित हिंसा से बचे हुए लोगों (उत्तरजीवियों) की सहायता में उनकी भूमिका पर सेवा प्रदाताओं को संवेदनशील बनाने से जुड़ी होगी। इससे उत्तरजीवियों के लिए अपनी बात रखने, सहायता और न्याय पाने के लिए अत्यधिक अनुकूल माहौल बनाने में काफी सहायता मिलेगी। प्रतिभागी मंत्रालयों में पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास, गृह, कानून और न्याय, सूचना एवं प्रसारण, युवा और खेल, शिक्षा और साक्षरता, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भी शामिल थे।

यह अभियान जीबीवी पर ध्यान देने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम के जारी प्रोग्रामिक प्रयासों में सहयोग करेगा। विविध लक्षित गतिविधियां, जो महिलाओं के निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाती है, के अतिरिक्त डीएवाई-एनआरएलएम ब्लॉक स्तर पर जेंडर रिसोर्स सेंटर (जीआरसी) स्थापित कर रहा है। ये एक समुदाय प्रबंधित मंच प्रदान करेंगे जहां से जेंडर के आधार पर होने वाली असमानताओं और भेदभाव का विरोध किया जा सकता है और जहां उत्तरजीवी उन मुद्दों पर काम करने वाले अन्य विभागों और एजेंसियों की सहायता के माध्यम से निवारण प्राप्त कर सकते हैं। अब तक देश भर में 3000 से अधिक जीआरसी स्थापित किए जा चुके हैं तथा और अधिक जीआरसी स्थापित करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

यह अभियान जेंडर आधारित हिंसा के संबंध में समाजगत स्तर पर बदलाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी पहलों को एक साथ लाने और उन्हें बढ़ावा देने का एक प्रयास है।

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