New Delhi: केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 01 फरवरी, 2025 को संसद में केन्द्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए कहा है कि विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक होने के कारण भारत वैश्विक स्तर पर चर्चा के केन्द्र में है। भारत वैश्विक वित्तीय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चुनौतियों के बावजूद भारत सभी के लिए त्वरित, सही, समावेशी और सहजता के साथ अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए कार्य कर रहा है। भारत सरकार का लक्ष्य समावेशी और विस्तृत आर्थिक विकास सुनिश्चित करना आगे भी बना रहेगा। भारत की आर्थिक नीतियां बदलाव लाने, योजनाओं के कियान्वयन और दृढ़ता के साथ जमीनी स्तर पर कार्य करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। इस तरह का दृष्टिकोण न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक एवं घरेलू चुनौतियों का मजबूती का सामना करने तथा सरकार के लिए आवश्यक अवसर सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
सूक्ष्म-आर्थिक प्रारूप वक्तव्य 2024-25 के अनुसार राष्ट्रीय सांख्यकीय कार्यालय के पहले विस्तृत अनुमान में भारत की वास्तविक और सामान्य सकल घरेलू उत्पाद दर क्रमश: 6.4 प्रतिशत तथा 9.7 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की गई है। वित्त वर्ष 2025-26 में सामान्य सकल घरेलू उत्पाद के वित्त वर्ष 2024-25 के पहले अग्रिम अनुमान से अधिक 10.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
मुद्रास्फीति का दबाव वित्त वर्ष 2024-25 में देखा गया और सूक्ष्म-आर्थिक प्रारूप वक्तव्य के अनुसार यह 2023-24 में 5.4 प्रतिशत की तुलना में 4.9 प्रतिशत (अप्रैल से दिसम्बर के दौरान) के औसत पर दर्ज की गई। गिरावट का यह सिलसिला खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति के बगैर देखा गया है। समग्र मुद्रास्फीति की दर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल से दिसम्बर) में खुदरा महंगाई के 4+2 प्रतिशत के बीच बनी रही। सरकार द्वारा आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग के लिए किए गए उपायों के कारण यह संभव हुआ है। वक्तव्य में यह अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई की दर में गिरावट आने के आसार है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में अनुमानित महंगाई के 4.6 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है। इसके अलावा घरेलू उपभोग की वस्तुओं के दाम लगभग सामान्य बने रहेंगे। यह अलग बात है कि भौगोलिक परिस्थितियां इनपर अपना असर डालती हैं और दाम बढ़ सकते हैं।
सूक्ष्म-आर्थिक प्रारूप वक्तव्य 2024-25 के अनुसार सरकार द्वारा कोविड 19 महामारी के बाद के वर्षों में अपनाई गई आर्थिक नीतियों एवं उपायों ने राहत पहुंचाई है और देश की विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु जरूरी आर्थिक नीतियों को आधार दिया है। आरई 2024-25 में सरकार ने वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 प्रतिशत तक लक्षित करने का प्रयास किया है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में किए गए वायदों को पूरा करने के क्रम में देश ने उपलब्धि हासिल की है और यह वित्त वर्ष 2025-26 में सकल घरेलू उत्पाद अनुपात से 4.5 प्रतिशत के नीचे रहने में सफल रहा है।