New Delhi: सरकार ने कच्चे तेल पर आयात निर्भरता कम करने तथा घरेलू स्तर पर तेल और गैस के उत्पादन बढ़ाने के विभिन्न उपाय किए हैं जो निम्नलिखित हैं:
i. हाइड्रोकार्बन खोज के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) व्यवस्था नीति, 2014.
ii. खोजे गए लघु क्षेत्र संबंधित नीति, 2015.
iii. हाइड्रोकार्बन की ड्रिलिंग और निष्कर्षण संबंधी अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी), 2016.
iv. उत्पादन साझाकरण अनुबंध के विस्तार हेतु नीति, 2016 और 2017.
v. कोयले की परत में प्राप्त होने वाले अपरंपरागत गैस भंडार- कोल बेड मीथेन के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए नीति, 2017.
vi. अन्वेषण संबंधी भूवैज्ञानिक डेटा – राष्ट्रीय डाटा रिपोजिटरी की स्थापना, 2017.
vii. राष्ट्रीय भूकंपीय कार्यक्रम, 2017 के अंतर्गत तलछट बेसिनों में गैर-आकलित क्षेत्रों का मूल्यांकन।
viii पूर्व-नवीन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (प्री-एनईएलपी), 2016 और 2017 के अंतर्गत खोजे गए क्षेत्रों और अन्वेषण ब्लॉकों के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध के लिए नीतिगत ढांचा।
ix. तेल और गैस के उन्नत पुनर्प्राप्ति विधियों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहन की नीति, 2018.
x. मौजूदा उत्पादन साझाकरण अनुबंधों (पीएससी), कोल बेड मीथेन (सीबीएम) अनुबंधों और नामांकित क्षेत्रों के तहत अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन की खोज और निष्कर्षण तंत्र नीति, 2018.
xi. प्राकृतिक गैस विपणन सुधार, 2020.
xii. निविदाएं आकर्षित करने के लिए निम्न रॉयल्टी दरें, शून्य राजस्व हिस्सेदारी (अप्रत्याशित लाभ तक) और श्रेणी II और III बेसिन के अंतर्गत ओपन एकरेज लाइसेंसिंग तंत्र के चरण-I में कोई ड्रिलिंग प्रतिबद्धता नहीं।
xiii. अपतटीय क्षेत्र में लगभग 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर (एसकेएम) ‘नो-गो’ क्षेत्र को मुक्त करना, जो पहले के दशकों में अन्वेषण के लिए वर्जित था।