New Delhi: वोट के बदले नोट मामले में सर्वोच्च न्यायलय ने बड़ा फैसला दिया है। न्यायलय ने सोमवार को वर्ष 1998 का फैसला पलटते हुए कहा कि सांसदों और विधायकों को छूट नहीं दी जा सकती है। यह विशेषाधिकार के तहत नहीं आता है। विषेधाधिकार सदन के साझा कामकाज से जुड़े विषय के लिए है। वोट के लिए रिश्वत लेना सदन के कामकाज का हिस्सा नहीं है।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायलय ने 1998 का नरसिंह राव फैसला पलट दिया। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच का इस मामले में यह साझा फैसला है। इस फैसले का सीधा असर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सीता सोरेन पर पड़ेगा। उन्होंने विधायक रहते रिश्वत लेकर 2012 के राज्यसभा चुनाव में वोट डालने के मामले में कोर्ट से राहत मांगी थी। कोर्ट ने साफ किया कि रिश्वत लेने के मामले में यह छूट नहीं मिल सकती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की है।

प्रधानमंत्री ने इसे महान फैसला बताते हुए एक्स पोस्ट में कहा;

“स्वागतम्!

माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक महान फैसला, जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा।”

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