नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने आकाश को सुशोभित करने के लिए भारत के पहले निजी विक्रम- सबऑर्बिटल (वीकेएस) रॉकेट को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके आज इतिहास रचा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज भारत के पहले निजी विक्रम-सबऑर्बिटल (वीकेएस) रॉकेट का सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया है।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह व्यक्तिगत रूप से आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इस महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी बने।

टीम इसरो और एक भारतीय अंतरिक्ष- तकनीक स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस, को अपने संक्षिप्त बधाई भाषण में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक कीर्तिमान की स्थापना! भारतीय स्टार्ट-अप्स के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़! क्योंकि इसरो के लिए एक नई शुरुआत” के रूप में अब पहला निजी रॉकेट “विक्रम-एस” अंतरिक्ष में है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो ने स्वतंत्र भारत के 75 वर्षों के इतिहास में एक शानदार उपलब्धि प्राप्त करने के साथ ही अपनी गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा में एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। मंत्री महोदय ने कहा कि इस प्रक्षेपण ने भारत को दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों में शामिल कर दिया है और कई महत्वाकांक्षी देश अब भारतीय विशेषज्ञता से प्रेरणा लेने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा निजी भागीदारी के लिए दो साल पहले भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने (अनलॉक) करने के बाद एक प्रमुख उपलब्धि बताया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि विक्रम-एस एक एकल चरण ईंधन (सिंगल स्टेज फ्यूल) रॉकेट है जो अगले साल विक्रम-1 के प्रक्षेपण (लॉन्च) से पहले स्काईरूट एयरोस्पेस की परियोजना में अधिकांश प्रणालियों और प्रक्रियाओं का परीक्षण करेगा। उन्होंने कहा कि रॉकेट अधिकतम 81.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाता है और उसके बाद समुद्र में गिर जाता है तथा प्रक्षेपण की कुल अवधि लगभग 300 सेकंड ही होती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्काईरूट अपने रॉकेट लॉन्च करने के लिए इसरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला पहला स्टार्टअप था। उन्होंने कहा, कि देश का पहला निजी प्रक्षेपण (लॉन्च) होने के अलावा यह स्काईरूट एयरोस्पेस का पहला मिशन भी है, जिसे “प्रारंभ” नाम दिया गया है।

इसरो ने एक वक्तव्य में कहा कि मिशन “प्रारंभ” सफलतापूर्वक पूरा हो गया है, जबकि स्काईरूट एयरोस्पेस ने कहा कि विक्रम-एस ने आसमान को सुशोभित करने वाले भारत के पहले निजी रॉकेट के रूप में इतिहास रचा है। यह अपने साथ अंतरिक्ष में कुल तीन पेलोड ले गया, जिसमें एक विदेशी ग्राहकों का भी था।

बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत के लिए वह महत्वाकांक्षी सपना जो भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के पहले अध्यक्ष और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई ने अपनी प्रारम्भिक अत्यल्प संसाधनों वाली वैज्ञानिक व्यवस्था में बैठकर देखा था, आज शानदार ढंग से पूरा सिद्ध हुआ है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि डॉ. विक्रम साराभाई ने हमेशा इसरो से “राष्ट्रीय स्तर पर” एक सार्थक भूमिका निभाने पर जोर दिया और कहा कि यह एक प्रमाण है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के आठ वर्षों के दौरान, भारत की युवा प्रतिभा, जिसका इंतजार किया जा रहा था कि वह अन्वेषण की, जोश के साथ अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिए नए आउटलेट खोले। उन्होंने कहा, भारत में हमेशा विशाल प्रतिभा पूल और बड़े सपने देखने का जुनून था, लेकिन आखिरकार यह श्री मोदी ही थे जिन्होंने उन्हें एक आदर्श आउटलेट दिया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अंतरिक्ष सुधारों ने स्टार्ट अप्स की नवोन्मेषी क्षमताओं को उजागर किया है और तीन-चार साल पहले कुछ ही समय के भीतर, अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स की तुलना में आज हमारे पास अंतरिक्ष के अत्यंत प्रति-स्पर्धी मलबा प्रबंधन, नैनो-उपग्रह, प्रक्षेपण यान, भू– केंद्र प्रणालियों, अनुसंधान इत्यादि अत्याधुनिक क्षेत्रों में काम करने वाले 102 स्टार्ट- अप्स हैं।

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