New Delhi: भारत सरकार के गहरे समुद्र मिशन पहलों के अंतर्गत, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान को समुद्रयान परियोजना के हिस्से के रूप में “मत्स्य-6000” नामक चौथी पीढ़ी के गहरे समुद्र में चलने वाली मानव वैज्ञानिक पनडुब्बी को डिजाइन करने और विकसित करने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा है। 2.1 मीटर व्यास के आकार वाली इस अत्याधुनिक पनडुब्बी को तीन व्यक्तियों के काम करने के लिए बनाया गया है। मत्स्य 6000 देश की महासागर अन्वेषण क्षमता की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
मत्स्य-6000 पनडुब्बी का डिज़ाइन पूरा होने के पश्चात इसकी कार्यक्षमता के लिए महत्वपूर्ण विभिन्न उप-प्रणालियों की पहचान की गई और उन्हें विकसित किया गया। पनडुब्बी में घटकों की एक व्यापक श्रृंखला है: जिसमें गोताखोरी के लिए एक बेलेस्ट सिस्टम तीनों दिशाओं में गति के लिए थ्रस्टर्स, बिजली की आपूर्ति के लिए एक बैटरी बैंक और पानी की सतह पर आने के लिए सिंटैक्टिक फोम शामिल है। इसमें एक परिष्कृत बिजली वितरण नेटवर्क, अत्याधुनिक नियंत्रण हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के साथ-साथ पानी के नीचे नेविगेशन डिवाइस भी शामिल हैं। संचार प्रणालियों में एक ध्वनिक मॉडेम, पानी के नीचे टेलीफोन और सतह संचार के लिए अति उच्च आवृति तरंगे (वीएचएफ) शामिल हैं, जो सटीक सतह स्थान ट्रैकिंग के लिए पानी के नीचे ध्वनिक स्थिति और जीपीएस से लेस हैं।
पन्नडुब्बी के अंदर, मानव जीवन-रक्षक प्रणालियों, विभिन्न पर्यावरणीय तथा महत्वपूर्ण मापदंडों की क्षमता के लाभ के लिए नेविगेशन जॉयस्टिक, साथ ही पनडुब्बी के बाहर विभिन्न समुद्र विज्ञान सेंसर, पानी के भीतर प्रकाश व्यवस्था और कैमरों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन सभी उप-प्रणालियों को स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया है और वर्तमान में इनका परीक्षण किया जा रहा हैं।