नई दिल्ली: नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड (एनएमपीबी) द्वारा समर्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) द्वारा आयोजित ‘भारत में औषधीय पौधे: उनकी मांग और आपूर्ति का आकलन, वेद और गोराया (2017)’ शीर्षक के अध्ययन के अनुसार, वार्षिक 2014-15 में देश में जड़ी-बूटियों/औषधीय पौधों की मांग लगभग 5,12,000 मीट्रिक टन अनुमानित थी। अध्ययन के अनुसार, लगभग 1178 औषधीय पौधों की प्रजातियों को व्यापार में दर्ज किया गया है, जिनमें से 242 प्रजातियों का व्यापार प्रति वर्ष 100 मीट्रिक टन से अधिक की उच्च मात्रा में किया जाता है। इन 242 प्रजातियों के आगे के विश्लेषण से पता चला कि 173 प्रजातियां (72%) जंगली स्रोतों से एकत्र की जाती हैं।
आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने पूरे देश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2020-21 तक राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) की केंद्र प्रायोजित योजना को लागू किया था। राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) योजना के औषधीय पौधों के घटक के तहत, निम्न के लिए सहायता प्रदान की गई थी:
किसान की भूमि पर प्राथमिकता वाले औषधीय पौधों की खेती।
गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के निर्माण एवं आपूर्ति के लिए बैकवर्ड लिंकेज वाली नर्सरी की स्थापना।
फारवर्ड लिंकेज के साथ फसलोत्तर प्रबंधन।
प्राथमिक प्रसंस्करण, विपणन अवसंरचना आदि।
अब तक, आयुष मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2020-21 तक पूरे देश में 56,305 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने के लिए औषधीय पौधों की खेती का समर्थन किया है।
वर्तमान में, राष्ट्रीय औषधीय पौधे बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार “औषधीय पौधों के संरक्षण, विकास और सतत प्रबंधन” पर केंद्रीय क्षेत्र की योजना लागू कर रही है जिसमें निम्नलिखित गतिविधियों का समर्थन किया जाता है:
इन-सीटू संरक्षण/एक्स-सीटू संरक्षण
संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) / पंचायतों / वन पंचायतों / जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) / स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के साथ संबंध।
आईईसी गतिविधियां जैसे प्रशिक्षण/कार्यशालाएं/सेमिनार/सम्मेलन आदि।
अनुसंधान एवं विकास।
औषधीय पौधों के उत्पादन का प्रचार, विपणन और व्यापार।
यह जानकारी आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।