New Delhi: नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में सोमवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को 2024 दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन की बारिश के बारे में जानकारी देते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने मीडिया को बताया कि जून से सितंबर 2024 में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि ± 5% की मॉडल त्रुटि के साथ इसके लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 106 प्रतिशत रहने की संभावना है। 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में मानसून सीज़न की बारिश का एलपीए 87 सेमी है।

डॉ. रविचंद्रन ने कहा, पूर्वानुमान गतिशील और सांख्यिकीय दोनों मॉडल पर आधारित है, और उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, जहां सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना दिखाते हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि अपेक्षित ला नीना, सकारात्मक आईओडी और उत्तरी गोलार्द्ध में सामान्य से कम बर्फ का आवरण दक्षिण पश्चिम मानसून 2024 सीजन के दौरान वर्षा के लिए अनुकूल होगा।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्र ने मीडिया को बताया कि वर्तमान में तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुवीय (आईओडी) स्थिति प्रचलित है और जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मानसून के दौरान इसके सकारात्मक रूप से विकसित होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि प्रशांत और हिंद महासागर में समुद्र की सतह का तापमान चूंकि भारतीय मानसून पर एक मजबूत प्रभाव डालता है, इसलिए आईएमडी समुद्र की सतह की स्थिति के बदलाव की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहा है।

डॉ. महापात्र ने आगे कहा कि पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च 2024) के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध में बर्फ का आवरण सामान्य से नीचे था, जो इस मानसून में अधिक वर्षा को दर्शाता है। सर्दी और वसंत में उत्तरी गोलार्द्ध के साथ-साथ यूरेशिया पर भी बर्फ कवर सीमा का आम तौर पर बाद के मानसून की वर्षा के साथ विपरीत संबंध है। उन्होंने कहा, आईएमडी मई 2024 के अंतिम सप्ताह में मानसून की बारिश का अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा।

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