नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के उपलक्ष्य में ‘‘भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ’’ – ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ के हिस्से के रूप में 75 स्थानों पर बाल श्रम उन्मूलन सप्ताह मना रहा है। इसका आयोजन विभिन्न जिलों में बाल श्रम की समस्या पर ध्यान देने और इसे खत्म करने के तरीके खोजने के कार्य को महत्‍‍व देने के लिए 12 जून से 20 जून, 2022 तक किया जा रहा है।

इस संबंध में, राज्य आयोग (एससीपीसीआर), जिला अधिकारियों, बाल कल्याण समिति, डीएलएसए, चाइल्ड लाइन, पुलिस/एसजेपीयू, श्रम विभाग और अन्य हितधारकों की सहायता से 12 से 20 जून, 2022 के दौरान देश भर के स्क्रैप और ऑटोमोबाइल बाजारों में 75 स्थानों पर, जहां बच्चे श्रम कार्य में शामिल हैं, बचाव अभियान चलाया जाएगा।

इन बचाव कार्यों के लिए, डीएम, एससीपीसीआर, डीएलएसए, एसजेपीयू, श्रम विभाग के अधिकारियों, चाइल्डलाइन और अन्य हितधारकों के साथ वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वर्चुअल बैठकें आयोजित की गईं जिससे बाल श्रम उन्मूलन सप्ताह के दौरान उनके द्वारा किए जाने वाले बचाव अभियानों की प्रक्रिया पर चर्चा की जा सके। इन बैठकों में 18 राज्यों/कें‍द्र शासित प्रदेशों के 800 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया।

एनसीपीसीआर ने बच्चों से संबंधित विभिन्न अधिनियमों, जो इन मामलों में लागू होते हैं, के सभी प्रावधानों को शामिल करते हुए बाल श्रम के बचाव और बचाव उपरांत प्रक्रिया पर एसओपी का एक मसौदा तैयार किया है। बाल श्रम मामलों के शिकार बच्चों की जांच और पुनर्वास के लिए निर्धारित प्रक्रिया की समझ को सरल बनाने का प्रयास किया गया है।

इसके अतिरिक्‍‍त, आयोग एनसीपीसीआर के बालस्वराज पोर्टल में बाल श्रमिकों के बचाव और पुनर्वास की प्रक्रिया के लिए एक अलग लिंक बनाने की प्रक्रिया में है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) का गठन भारत सरकार द्वारा बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया है, जो बाल अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है। बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 13 (1) के तहत, बच्चों, विशेष रूप से जो सबसे निर्बल और सीमांत वर्गों के हैं, के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कुछ कार्यों का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्‍‍त, आयोग को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015, बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 तथा यौन अपराधों से बच्चों की रोकथाम अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए भी अधिदेशित किया गया है।

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