New Delhi: पंचायती राज मंत्रालय ने नवाचार सैंडबॉक्स प्रस्तुति में भाग लिया और “स्वामित्व योजना के माध्यम से भूमि प्रबंधन में डिजिटल परिवर्तन पहल” का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में राज्यों द्वारा भूमि प्रबंधन प्रणालियों को पारदर्शी और कुशलता से डिजिटल बनाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं का विवरण दिया गया। भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी (बीआईपीपी), इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी), हैदराबाद में 3 जनवरी – 5 जनवरी 2024 के दौरान आयोजित दूसरे वार्षिक तीन दिवसीय “लोक नीति संवाद” सम्‍मेलन में “स्वामित्व योजना के माध्यम से भूमि प्रबंधन में डिजिटल परिवर्तन पहल” के लिए नवाचार सैंडबॉक्स प्रस्तुति में पंचायती राज मंत्रालय को प्रतिष्ठित प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

स्वामित्व योजना के कार्यान्वयन में प्रभावकारिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में पंचायती राज मंत्रालय के अभिनव प्रयासों को पिछले अवसरों पर भी उत्कृष्ट और परिवर्तनकारी माना गया था। स्वामित्व योजना को कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा अक्टूबर 2023 में इंदौर, मध्य प्रदेश में आयोजित “नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए उभरती प्रौद्योगिकी का उपयोग” श्रेणी में ई-गवर्नेंस 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कारों में प्रतिष्ठित स्वर्ण पुरस्कार मिला था।

स्वामित्व योजना को अगस्त 2023 में गोवा में आयोजित डिजिटेक कॉन्क्लेव 2023 में “डिजिटल परिवर्तन के लिए ई-गवर्नेंस में प्रौद्योगिकी के अभिनव उपयोग” श्रेणी के लिए स्वर्ण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

स्वामित्व योजना पंचायती राज मंत्रालय की एक केंद्रीय योजना है जिसने भारत में ग्रामीण समुदायों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अत्याधुनिक ड्रोन सर्वेक्षण और जीआईएस मैपिंग तकनीक का लाभ उठाते हुए इस योजना के अंतर्गत भूमि पार्सल का सटीक सीमांकन सुनिश्चित किया जाता है जिससे विवादों को कम किया जाता है और लोगों को अधिकारों के संपत्ति रिकॉर्ड यानी स्वामित्व संपत्ति कार्ड प्रदान किए जाते हैं। इससे संपत्तियों के मुद्रीकरण की सुविधा मिलती है, बैंक ऋण और व्यापक गांव- स्तरीय योजना को सक्षम किया जाता है। प्रौद्योगिकी का ऐसा इस्‍तेमाल न केवल दस्तावेज़ीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने वाली अधिक पारदर्शी और कुशल भूमि प्रबंधन प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

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